जैसे श्री बलभद्रजी ने प्रलम्ब दैत्य का वध कर भक्तों का त्राण किया था, वैसे ही आपने आश्रितजनों को कर्मात्मिका अविद्या का निवारण कर उन्हें स्वरूप का ज्ञान कराया, जिससे उनका जीवन सार्थक हुआ। आपके सम्बन्ध में यह एक पद्य है। आपका पाटोत्सव माघ कृष्णा चतुर्दशी को मनाया जाता है।
!! जय राधामाधव !!
[ हर क्षण जपते रहिये ]
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