श्री श्रवण भट्टाचार्य जी का जीवन चरित्र
( श्रुतिरुपा सखी के अवतार )
आप श्री निम्बार्काचार्य के पश्चात् 20 वे पीठासीन आचार्य हुए हैं। श्रवण, मनन द्वारा आत्म-तत्व का साक्षात्कार कर आपने शरणागतों को श्रवण कराया और अज्ञान अंधकाररूपी अर्गल (कर्मबंधन) से उन्हें मुक्त बनाया। आप निरन्तर शास्त्रानुशीलन में ही संलग्न रहा करते थे। श्री अनन्तराम वेदान्तकेशरी के एक पद्य से यह प्रमाणित है। आपका पाटोत्सव कार्तिक कृष्णा नवमी को मनाया जाता है। आपके रचे हुए ग्रन्थों का अभी तक पता नहीं चला है।
!! जय राधामाधव !!
[ हर क्षण जपते रहिये ]
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