google.com, pub-8916578151656686, DIRECT, f08c47fec0942fa0 सायंकालीन संकीर्तन स्तुति || पराभक्ति रतिवर्धिनी श्यामा सब सुख दैन

सायंकालीन संकीर्तन स्तुति || पराभक्ति रतिवर्धिनी श्यामा सब सुख दैन

 सायंकालीन संकीर्तन स्तुति || पराभक्ति रतिवर्धिनी श्यामा सब सुख दैन 

सायंकालीन संकीर्तन स्तुति || पराभक्ति रतिवर्धिनी श्यामा सब सुख दैन


अनन्त श्रीविभूषित जगद्गुरु श्रीनिम्बार्काचार्यपीठाधीश्वर श्रीहरिव्यासदेवाचार्यजी महाराज द्वारा विरचित श्रीमहावाणी से उद्धृत सायंकालीन संकीर्तन--स्तुति


|| दोहा ||


पराभक्ति रतिवर्द्धिनी, श्यामा सब सुखदैन ।
रसिक-मुकुट-मनि राधिके, जय नव-नीरज नैन ।

|| स्तोत्र ||


जयति जय राधा रसिकमनि, मुकुट मनि हरनी प्रिये।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति गोरी नव किसोरी,सकल सुख-सीमा श्रिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति रति-रस-बर्द्धिनी, अति अद्भुता सदया हिये।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति आनन्द कन्दनी, जग बन्दनी वर-वदनीये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति श्यामा अमितनामा, वेद विधि निर्वाचिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति रास विलासिनी,कलकला कोटि प्रकाशिये।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति विविध विहार कवनी,रसिकरवनी शुभधिये।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति चंचल चारु लोचनि, दिव्य दुकुलाभरनिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति प्रेमा प्रेमसीमा, कोकिला--कलवैनिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति कंचन दिव्य अंगी, नवल नीरज नैनिये।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति वल्लभ वल्लभा, आनन्द कलभा तरुनिये।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति नागरि गुण उजागरि,प्रान धन मन हरनिये।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति नौतन नित्य लीला, नित्य धाम निवासिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति गुन माधुर्य भूपा, सिद्धि रूपा शक्तिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति शुद्ध स्वभावशीला, श्यामला सुकुमारिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जयति जस जग प्रचुरपरिकर,श्रीहरिप्रिया जीवनजिये ।
पराभक्ति-प्रदायिनी करि, कृपा करुणानिधि प्रिये ।।

जो भी वैष्णव भक्त इस "युगल स्तुति" का चित्त लगाकर पाठ करता है, उसके जन्म जन्मांतर के बंधन खुल जाते हैं और जीव अपने जीवन प्राण सर्वश्व "श्रीहरिप्रिया लाल जू महाराज" के चरणों में सदा सदा के लिए विलीन हो जाता है।

जय जय श्री राधेश्याम !!



[ हर क्षण जपते रहिये ]

राधेकृष्ण राधेकृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे | राधेश्याम राधेश्याम श्याम श्याम राधे राधे ||


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