google.com, pub-8916578151656686, DIRECT, f08c47fec0942fa0 ११ ) श्री बलभद्राचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Balbhadrachary Ji

११ ) श्री बलभद्राचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Balbhadrachary Ji

 श्री बलभद्राचार्य जी का जीवन चरित्र

श्री बलभद्राचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Balbhadraachary Ji

( भद्रा सखी के अवतार )
 
आपने स्वतन्त्र भक्ति भाव का उपदेश देते हुए 60 वर्षों तक सिंहासन को अलंकृत किया। आपका पाटोत्सव श्रावण शुक्ला तृतीया को मनाया जाता है। आप ऐसे अलौकिक आचार्य हुए, जो अधेिकतर श्रीवृन्दावन में ही रहकर अखण्ड भजन में निरत रहे। कभी किसी विषेश प्रसंग पर ही आप पुष्कर आदि तीर्थों की यात्रा करते थे। कहा जाता है कि आप 60 वर्षों तक आचार्य सिंहासन पर विराजे किन्तु भगवद्भक्ति में इतने निरत रहे कि एक भी गृहस्थ को दीक्षा नहीं दी। श्रीपद्माचार्य आदि अपने शिष्यों को ही मन्त्रोपदेश करने की आज्ञा प्रदान कर दी। आप स्वयं तो श्रीवृन्दावन में ही लेटे रहते। रहस्य (सखी) परम्परा में आपका "श्रीभद्राजी" के नाम से स्मरण किया जाता है। अनन्तरामजी ने एक पद्य द्वारा आपकी वन्दना की है ।
!! जय राधामाधव !!



[ हर क्षण जपते रहिये ]

राधेकृष्ण राधेकृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे | राधेश्याम राधेश्याम श्याम श्याम राधे राधे ||


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