श्री वामन भट्टाचार्य जी का जीवन चरित्र
( वामा सखी के अवतार )
जैसे कोई सद्धैद्य परदत्त विष को अथवा सर्प काटने पर चढ़े हुए विष को मणिमन्त्र औषधादि द्वारा वमन कराकर रोगी को बचा लेता है, उसी प्रकार श्री वामनभट्टाचार्यजी ने ज्ञान, मन्त्र, वैराग्य और भक्ति आदि औषधियों से शरणागतों के अनादि कर्मात्मक विष की वमन द्वारा निवृत्ति कराई। ऐसे दयालु, परम ज्ञानी और परमगुरु श्री वामनभट्टाचार्यजी महाराज के चरणों की शरण लेना हितकर है। आपका पाटोत्सव ज्येष्ठ कृष्णा षष्ठी को मनाना चाहिए।
!! जय राधामाधव !!
[ हर क्षण जपते रहिये ]
Join Telegram
0 Comments
You Can Ask Here About Sampraday