श्री विलासाचार्य जी का जीवन चरित्र
( विलासा सखी के अवतार )
आपका जीवनवृत्त आचार्य चरित्र में सक्षिप्त रूप से मिलता है। विद्वानों का अनुमान है कि 25 श्लोकी ’’सविषेष निर्विषेष श्रीकृष्णस्तवराज’’ आपकी ही कृति है। आपका वैषाख शुक्ल अष्टमी को पीठासीन हुए थे! उसी दिन आपका पाटोत्सव मनाया जाता है। सखी भाव की उपासना में आप उच्चकोटि पर पहुॅंचे हुए थे। आप अत्यन्त निरपेक्ष एवं निस्पृही थे! निरन्तर वृन्दावन में ही रहा करते थे।
!! जय राधामाधव !!
[ हर क्षण जपते रहिये ]
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