Nimbark Ekadashi Calendar 2021 || श्री निम्बार्क एकादशी तिथि 2021-22
श्री निम्बार्क भगवान द्वारा प्रतिपादित कपालवेध मतानुसार वर्ष 2021- 22 में होने वाली एकादशी एवं महाद्वादशी व्रत की तिथियां निम्न प्रकार है । इसमें जिस दिन महाद्वादशी व्रत के बारे में लिखा हुआ है । निम्बार्क अनुयायियों को तब एकादशी व्रत को छोड़कर महाद्वादशी वाले दिन ही व्रत करना है ।
एकादशी एवं पक्षवर्धिनी महाद्वादशी व्रत : गुरुवार, 08 अप्रैल 2021
कामदा एकादशी व्रत : शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021
वरुथिनी एकादशी व्रत : शुक्रवार, 07 मई 2021
मोहिनी एकादशी व्रत ( श्री त्रिस्पृशा महाद्वादशी व्रत ) : रविवार, 23 मई 2021
अपरा एकादशी व्रत : : रविवार, 06 जून 2021 [ श्री उन्मीलिनी महाद्वादशी व्रत : रविवार, 06 जून 2021 ]
निर्जला एकादशी व्रत : सोमवार, 21 जून 2021
श्री पक्ष वर्धिनी महाद्वादशी व्रत : मंगलवार, 06 जुलाई 2021
देवशयनी एकादशी व्रत : मंगलवार, 20 जुलाई 2021
कामिका/कामदा एकादशी व्रत : बुधवार, 04 अगस्त 2021
श्रावण पवित्रा एकादशी व्रत : गुरुवार, 19 अगस्त 2021
अजा एकादशी व्रत एवम श्री उन्मीलिनी महाद्वादशी व्रत : शुक्रवार, 03 सितंबर 2021
परिवर्तिनी/पद्मा एकादशी व्रत : शुक्रवार, 17 सितंबर 2021
इन्दिरा एकादशी व्रत : शनिवार, 02 अक्टूबर 2021
पापांकुशा एकादशी व्रत : शनिवार, 16 अक्टूबर 2021
रमा एकादशी व्रत : : सोमवार, 01 नवंबर 2021
श्री देवप्रबोधिनी एकादशी एवं व्यंजुलिनी महाद्वादशी व्रत : सोमवार, 15 नवम्बर 2021
उत्पन्ना एकादशी व्रत : बुधवार, 01 दिसम्बर 2021
श्री पक्षवर्धिनी महाद्वादशी,वयंजन महाद्वादशी व्रत : बुधवार, 15 दिसम्बर 2021
सफला एकादशी व्रत : गुरुवार, 30 दिसंबर 2021
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत एवं जयंती महाद्वादशी व्रत : शुक्रवार, 14 जनवरी 2022
षटतिला एकादशी व्रत : शनिवार, 29 जनवरी 2022
जया महाद्वादशी व्रत : शनिवार, 12 फरवरी 2022
विजया महाद्वादशी व्रत एवं त्रिस्पृशा महाद्वादशी : रविवार, 27 फरवरी 2022
आमलकी एकादशी व्रत : सोमवार, 14 मार्च 2022
पापमोचिनी एकादशी व्रत : सोमवार, 28 मार्च 2022
एकादशी के कुछ सामान्य नियम, जिनका पालन हमें व्रत के दौरान यथासम्भव करना चाहिए :
● एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए ।
● विधिनुसार भगवान श्रीकृष्ण का पूजन और रात को दीपदान करना चाहिए ।
● एकादशी व्रत में ज्यादा से ज्यादा मौन रहकर अपने गुरु द्वारा प्रदत्त मन्त्र का जप अवश्य करना चाहिए ।
● एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए। ● व्रत की समाप्ति पर श्रीहरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए ।
● अगली सुबह यानी द्वादशी तिथि पर पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए ।
● भोजन के बाद ब्राह्मण को क्षमता के अनुसार दान देकर विदा करना चाहिए ।
जय श्री राधे...
कृप्या आप सभी वैष्णवजन से छोटा सा अनुरोध है कि आप सभी इसे आगे भी निम्बार्क वैष्णवों तक पहुचाने में मदद करे इसको ज्यादा से ज्यादा निम्बार्क परिकर तक शेयर करे ... ।।
[ हर क्षण जपते रहिये ]
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