श्रीनिम्बार्क भगवान् की आरती || निम्बार्क सम्प्रदाय उपासना

 श्रीनिम्बार्क भगवान् की आरती || निम्बार्क सम्प्रदाय उपासना 

श्रीनिम्बार्क भगवान् की आरती || निम्बार्क सम्प्रदाय उपासना


श्रीनिम्बार्क भगवान् की आरती

जय निम्बार्क हरे, प्रभु जय निम्बार्क हरे ।
तुम बिन और न दूजा, भव से पार करे ॥ जय० ॥१॥

तुम हो अगम अगोचर, करुणानिधि स्वामी ।
पूरण ब्रह्म दयालू, जग अन्तरयामी ॥ जय० ॥२॥

भक्तन के हित कारण, लीला अवतारी ।
चक्र सुदर्शन प्रगटे, ताप--त्रय--हारी ॥ जय० ॥३॥

किन्नर गायन करते, सप्त स्वर सहिता ।
बाजत ताल मृदंगा, धिकतां तां धिकता ॥ जय० ॥४॥

द्वैताद्वैत प्रचारयो, प्रभु संतन तारन ।
आवागमन मिटावन, कलिमल अघ पावन ॥ जय० ॥५॥

दीन दयालु दयानिधि, दीनन हितकारी ।
वेद पुराण बखानत, महिमा अति भारी ॥ जय० ॥६॥

निशि-दिन ध्यान धरै चित, दुख विनसे मन का।
काम क्रोध मद नाशे, कष्ट मिटे तनका ॥ जय० ॥७॥

जो जन ध्यान से आरती, प्रेम सहित गावे ।
वो जगदीश परम पद, सो निश्चय पावे ॥ जय० ॥८॥

जय राधामाधव !! 



[ हर क्षण जपते रहिये ]

राधेकृष्ण राधेकृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे | राधेश्याम राधेश्याम श्याम श्याम राधे राधे ||


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