google.com, pub-8916578151656686, DIRECT, f08c47fec0942fa0 १४) श्री गोपालाचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Gopalachary Ji

१४) श्री गोपालाचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Gopalachary Ji


श्री गोपालाचार्य जी का जीवन चरित्र 

श्री गोपालाचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Gopalaachary Ji

( शारदा सखी के अवतार ) 
    आप एक परम रसिक और बडे सरस हृदय आचार्य थे। कन्नोज आपका जन्म स्थान था और कान्यकुब्ज द्विजकुल में प्रकट हुए थे। आपके माता-पिता परम भागवत थे, किन्तु और सारा परिवार शाक्त था। इनके व्यवहार से वे खिन्न रहा करते थे और प्रभु से प्रार्थना किया करते थे। एक दिन स्वप्न में भगवान् ने उन्हें आदेश दिया कि "घबराओं मत, तुम्हारें पुत्र से एक मेरी विशिष्ट विभूति का अवतार होगा" उसके प्रकट होते ही सब परिवार की वृत्ति परिवर्तित हो जायेगी। थोडे ही दिनों के अनन्तर आपका जन्म हुआ। उसी दिन से परिवार में एक दूसरी लहर पैदा हो गई। आपके अंग में विलक्षण चिह्न और एक अद्भुत तेज था। आपकी बारह वर्ष की अवस्था होने तक केवल परिवार ही नहीं, नगर के बहुत से नर-नारी श्रीराधाकृष्ण के भक्त हो गये। माता-पिता से फिर किसी प्रकार का विपरीत भाव नहीं करता था। आप माता-पिता की अनुमति लेकर वृन्दावन आये और श्रीश्यामाचार्यजी के दर्शन किये। श्रीश्यामाचार्यजी ने अपना अन्तरंग परिकर समझकर वैष्णवी दीक्षा दी और व्रजयात्रा करने की आज्ञा दी! 
     तदनुसार आप ज्यों ही वृन्दावन से बाहर निकलें, एक विमान दिखाई पडा, उसमें श्रीराधाकृष्ण युगल विराजमान थे। आगे चले तो एक वन में भगवान् के बालरूप के दर्शन हुए। माता-पिता उनका लाड-चाव कर रहे हैं। गाय-बछडे, बैलों के झुण्ड दिखाई दे रहे हैं। आगे चले तो देखा कि भगवान् पौगण्ड रूप में लीला कर रहे हैं। गोवर्धन पहुॅंचे तो वहॉं किशोर रूप में भगवान् के दर्शन हुए। वहॉं अदृभुत कुंजें और लता-पता, तरुवर, सखी-सहेलियॉं और उनकी सभी ऋतुओं की लीलाएॅं देखीं। वापिस वृन्दावन श्री निधिवन आकर श्रीगुरुदेव से सभी लीलाओं का वर्णन किया। फिर गुरुदेव ने श्रीवृन्दावन का रहस्य और अपना पद प्रदान कर अपनी ऐहिक लीला संवरण की। आपका पाटोत्सव भाद्रपद शुक्ला एकादशी को मनाया जाता है। श्रीअनन्तरामजी ने एक वन्दनात्मक पद में संक्षिप्त रूप से आपके चरित्र का दिग्दर्शन कराया है।
      !! जय राधामाधव !!


[ हर क्षण जपते रहिये ]

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