श्री कृपाचार्य जी का जीवन चरित्र
( कृपाला सखी के अवतार )
आप बड़े प्रतापी आचार्य थे। आपका जीवन वृत्तान्त विशद रूप में उपलब्ध नहीं होता है, तथापि "सिद्धान्त जाह्नवीकार" जैसे प्रसिद्ध प्रतापी पट्ट शिष्य होने के कारण यह निश्चित होता है कि वे भी अवश्य विशिष्ट तेजस्वी विद्वान् रहे होंगे। श्रीअनन्तरामजी वेदान्तकेशरी ने उन्हें साक्षात् मुकुन्द का ही अवतार बताया है । श्रीकिशोरदासजी कृत निजमत सिद्धान्त ग्रन्थ में आपके जन्म स्थल अयोध्या और सारस्वत द्विजकुल का उल्लेख मिलता है। उन्होंने लिखा है कि यज्ञोपवीत होते ही आप अयोध्या से वृन्दावन आ गये। उस समय श्रीगोपालाचार्यजी मान-सरोवर पर विराज रहे थे। ये भी यमुनाजी के दर्शन, स्पर्श, मज्जन और पान करके वहॉं जा पहुॅंचे। दण्डवत् प्रणाम करके आपने हार्दिक भाव व्यक्त किया। इनका अनुरोध और योग्यता देख आचार्यश्री ने इन्हें पंच संस्कार कर वैष्णवी दीक्षा दी और कृपाचार्य नाम रखा। गुरु की आज्ञानुसार व्रज भ्रमण करके आप वृन्दावन लौटे। फिर समस्त जीवन पर्यन्त वृन्दावन में ही रहे। पाटोत्सव मार्गषीर्ष शुक्ला पूर्णिमा को मनाया जाता है।
!! जय राधामाधव !!
[ हर क्षण जपते रहिये ]
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