google.com, pub-8916578151656686, DIRECT, f08c47fec0942fa0 १७) सेतुकार श्री सुंदर भट्टाचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Sundar Bhattachary Ji

१७) सेतुकार श्री सुंदर भट्टाचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Sundar Bhattachary Ji

सेतुकार श्री सुंदर भट्टाचार्य जी का जीवन चरित्र 

सेतुकार श्री सुंदरभट्टाचार्य जी का जीवन चरित्र || Biography Of Shri Sundar bhattachary Ji

 ( सुंदरी सखी के अवतार )

   श्री देवाचार्यजी से इस सम्प्रदाय में दो शाखाएॅं चलती है-एक श्रीसुन्दरभट्टाचार्यजी की और दूसरी श्रीव्रजभूषणदेवजी की। श्रीसुन्दरभट्टाचार्य ने आचार्य सिंहासन को अलंकृत किया और कई एक ग्रन्थों की रचना की। उससे आपका प्रौढ़ पाण्डित्यक स्पष्टता अवगत होता है। उन ग्रन्थों में केवल तीन ग्रन्थ उपलब्ध है --
(1) "सेतुका" (सिद्धान्त जाह्नवी की विस्तृत व्याख्या) प्रथम तरंग पर्यन्त उपलब्ध और मुद्रित, शेष अनुपलब्ध।
(2) "प्रपन्न-सुरतरू-मंजरी" (प्रपन्न कल्पवल्ली की विस्तृत टीका मुद्रित)
(3) "मन्त्रार्थरहस्य" (रहस्य षोडषी की व्याख्या)।
सेतुका से आपके तीन और ग्रन्थ का पता चलता है--
(1) "गोपालोपनिशद् का भाश्य
(2) "कालनिर्णय सन्दर्भ"
(3) "प्रपन्नवृत्तिनिर्णय सन्दर्भ"

    ये तीनों ही ग्रन्थ अनुपलब्ध है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि "पंचकालानुष्ठानमीमांसा" ही सम्भवत: प्रपन्नवृत्ति निर्णय होगा या उसका विभाग होगा। श्रीअनन्तरामजी ने एक वन्दनात्मक पद्य द्वारा आपकी विद्वत्ता का दिग्दर्शन कराया है। आपका पाटोत्सव मार्गशीश शु0 द्वितीया को मनाया जाता है। रहस्य परम्परा में आपका ‘‘सुन्दरी‘‘ नाम है।
!! जय राधामाधव !!


[ हर क्षण जपते रहिये ]

राधेकृष्ण राधेकृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे | राधेश्याम राधेश्याम श्याम श्याम राधे राधे ||


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